The Fact About सफेद मूसली के लाभ That No One Is Suggesting

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सफ़ेद मूसली की इन राज्यों में खेती की जाती है। इनमें शामिल है मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, बिहार, केरल, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु व वेस्ट बंगाल।

पतली मूसली की फिंगर्स/टूयूबर्स का उत्पादन पर प्रभाव

कमजोरी दूर होती है - शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने में सफ़ेद मूसली लाभदायक होती है। बहुत सी तरह की ताकत की दवाएं बनाने में सफेद मूसली प्रयोग की जाती है।

गठिया के दर्द में फायदा - सफेद मूसली के कंद को लगाने और इसके चूर्ण का सेवन करने से गठिया के दर्द में रहत मिलती है। सफेद मूसली गठिया के लिए बहुत लाभकारी होता है।

लो शुगर की समस्या वालों को इसके सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें रक्त में मौजूद शुगर को कम करने के गुण पाए जाते हैं, जो समस्या को गंभीर बना सकते हैं।

सफेद मूसली का सेवन करने के लिए मूसली पाउडर, मूसली पाक का इस्तेमाल कर सकते है।

जिन कंदों का उपयोग बीज हेतु करना हो, उन्हें छोड़कर शेष मूसली को विपणन हेतु भिजवाने से पूर्व उसके कंदों/ट्यूबर्स/फिंगर्स की छिलाई करना अथवा उनका छिलका उतारना अत्यावश्यक होता है ताकि छिलका उतारने पर यह अच्छी तरह से सूख जाए तथा इसे बिक्री हेतु प्रस्तुत किया जा सके। यद्यपि यह कार्य अत्याधिक आसान है तथा अकुशल श्रमिक/बच्चे भी इसे कर सकते है परन्तु यह काफी अधिक श्रमसाध्य है तथा इसमें काफी समय लगता है, क्योंकि मूसली के प्रत्येक कंद/फिंगर को छीलना पड़ता है। वर्तमान में मूसली की छिलाई हेतु प्रचलित प्रमुख विधियाँ निम्नानुसार हैं-

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अश्वगंधा का प्रयोग प्राचीन काल से ही कई प्रकार के रोगों का इलाज

सफेद मुसली एक महत्वपूर्ण रसायन तथा एक प्रभाव वाजीकारक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग खांसी, अस्थमा, बवासीर, चर्मरोगों, पीलिया, पेशाब संबंधी रोगों, ल्यूकोरिया आदि के उपचार हेतु भी किया जाता है। हालांकि जिस प्रमुख उपयोग हेतु इसे सर्वाधिक प्रचारित किया जाता है। वह है-नपुंसकता दूर करने तथा यौनशक्ति एवं बलवर्धन। मधुमेह के उपचार में भी यह काफी प्रभावी सिद्ध हुआ है। इसका प्रयोग स्त्रियों में दूध बढ़ाने, प्रसव के बाद होने वाले रोग, मधुमेह, नपुसंकता आदि बीमारियों में किया जाता है। इस का पौधा जंगलों में वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने पर उगता है। इसे आदिवासी इक्क्ठा करके बाजार में बेच देते हैं। जड़ी बूटियों की अधिक मांग होने के कारण इसका वनों से अधिक दोहन होने के कारण विलुप्त होने के कगार पर है।

नपुंसकता से बचाव - सफेद मूसली से वीर्य का उत्पादन होता है website यह नपुंसकता को दूर कर वीर्य की गुणवत्ता को सुधारती है। इसके नियमित सेवन से नपुंसकता का खतरा कम हो जाता है। गाय के दूध में एक से डेढ़ चम्मच मूसली पाक मिलाकर दिन में दो बार पिएं।

एक अन्सियलिटिक, एंटीडिप्रेसेंट और विरोधी तनाव एडाप्टोजेन वृद्धि हुई ऊर्जा, कम थकान, बेहतर नींद और अच्छी तरह से किया जा रहा हैं की एक बढ़ी हुई भावना में परिणाम के रूप में अश्वगंधा की सिद्ध प्रभावकारिता, कम कोर्टिसोल के स्तर के साथ। पाउडर रूप में यह जड़ी बूटी टेस्टोस्टेरोन जैसे पुरुष हार्मोन को भी संतुलन में रखती हैं, जिससे निर्माण को बनाए रखने के लिए हार्मोन का अनुकूलन होता हैं।

(ख) मूसली को गीला करके उसका छिलका उतारना - प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ जंगलों से मूसली एकत्रित की जाती है, कच्ची मूसली को जंगल से उखाड़ने के उपरान्त उनका ढेर लगा दिया जाता है तथा उन पर प्रतिदिन पानी का हल्का-हल्का छिड़काव किया जाता है। कुछ समय के उपरान्त यह मूसली या तो स्वयं ही छिलका छोड़ने लगती है या इसे आसानी से मसल कर छिलका निकाल दिया जाता है। यह विधि विशेष रूप से जंगलोंसे उखाड़ी हुई कच्ची मूसली का छिलका उतारने के लिए उपयोगी हो सकती है। परन्तु इस विधि से पूर्णतया पकी हुई मूसली से छिलका उतारने का सुझाव देना शायद उपयुक्त नहीं होगा।

मूसली शुक्र का पोषण करती है और बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक है। मूसली में सैपोनिन और स्टिगमास्टरोल होते हैं, जिन्हें स्पर्मेटोजेनेसिस की प्रक्रिया को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसे खाने से शुक्राणु गतिशीलता की तुलना में वीर्य मात्रा और शुक्राणुओं की संख्या में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं।

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